एक भारत, एक संविधान, एक कोर्ट और दो गुट में बंटे न्याय के प्रहरी! मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ का कुछ ऐसा ही नजारा
शैलेश कुमार:- भारत दुनिया में एक ऐसा धर्मनिर्पेछ देश है जहां पर हिंदूं, मुस्लिम, शिख, इसाई, बौद्ध, जैन बड़ी ही शालीनता के साथ अपना जीवन यापन करते हैं. इस हिंदू प्रधान देश में सबको समान अधिकार दिया गया है. सब के धर्म अलग हो सकते हैं लेकिन जब न्याय की बात आती है तो सब को समान अधिकार दिया जाता. इसकी वजह कुछ और नहीं बल्कि भारत संविधान हैं, जो किसी न तो छोटा और नहीं बड़ा समझता. भारत से संविधान के रचनाकार डॉ अम्बेडकर को माना जाता है. यही नही डॉ अम्बेडकर देश के पहले कानून मंत्री भी हैं. इतना जटिल संविधान होने बावजूद भी भारत में जातिवाद और धर्मवाद चरम पर है. आज भी आए दिन कहीं न कहीं जातिवाद की घटनाएं देखने को मिलती है. यह भी देखा गया है कि बड़ी जाति के लोग शूद्रों पर पेशाब तक कर दे रहे हैं, आज का भारत जिसे गांधी, चंद्रशेखर, भगत सिंह, शिवा जी महाराज और डॉ अम्बेडकर का देश कहा जाता है. आज का भारत एक सभ्य और पढा-लिखा है, जिसे इतनी तो इल्म होनी चाहिए कि कोर्ट में संविधान निर्माता की प्रतिमा न लगा कर आखिर किसकी प्रतिमा लागाई जाए? एक तरफ जहां डॉ अम्बेडकर को 'ज्ञान का प्रतीक' माना जाता है, ...