शैलेश कुमार:-
भारत के द्वारा ऑपरेशन सिंदूर से पाकिस्तान का घाव अभी तक भरा ही नहीं है, कि उधर पाकिस्तान का हिस्सा कहे जाने वाला बलूचिस्तान अब पाकिस्तान के हांथों से निकल चुता है. बलूचिस्तान के नेता Mir Yar Baloch ने दावा किया कि बलूचिस्तान अब पाकिस्तान का हिस्सा नहीं है. बलूच नेता ने यह भी कही कि क्रिपया कर के बलूचों को पाकिस्तानी कहना बंद करें. बलूच नेता Mir Yar Baloch ने अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट साझा करते हुए भारत समेत पूरी दुनिया को साथ देने की मांग की है.
Mir Yar Baloch ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट साझा करते हुए लिखा: "विश्व स्वास्थ्य संगठन, एशियाई विकास बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मानवीय संगठनों ने बलूचिस्तान की मदद के लिए आपातकालीन निधि की घोषणा की, बलूचिस्तान बैंक की स्थापना की और बलूचिस्तान राज्य के लोकतांत्रिक गणराज्य पर नियंत्रण पाने में बलूचों की मदद की. Mir Yar Baloch ने आगे कहा कि पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय सहायता और धन करदाताओं के पैसे की बर्बादी थी."
बलूच नेता ने आगे कहा: "विश्व स्वास्थ्य संगठन, एशियाई विकास बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मानवीय संगठनों ने बलूचिस्तान की मदद के लिए आपातकालीन निधि की घोषणा की, बलूचिस्तान बैंक की स्थापना की और बलूचिस्तान राज्य के लोकतांत्रिक गणराज्य पर नियंत्रण पाने में बलूचों की मदद की."
पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय सहायता और धन करदाताओं के पैसे की बर्बादी थी।
"1947 से 2025 तक अपने आविष्कार के बाद से पाकिस्तान ने पश्चिम, आईएमएफ, विश्व बैंक से अरबों डॉलर प्राप्त किए और हजारों जिहादी समूहों का समर्थन किया, अलकायदा नेता ओबीएल की मेजबानी की, आतंकवाद के खिलाफ युद्ध के नाम पर अमेरिका से 33 डॉलर प्राप्त किए, लेकिन इन पैसों का इस्तेमाल 9/11 के बाद अफगानिस्तान में 5000 से अधिक अमेरिकी सैनिकों, नाटो सैन्य बलों और नागरिकों को मारने के लिए भाड़े के सैनिकों को निधि देने के लिए किया."
"1970 के दशक में पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में सोवियत संघ को तोड़ने के लिए मुजाहिदीन का इस्तेमाल किया और परमाणु हथियार प्राप्त करने के अवसर को समाप्त कर दिया। अमेरिका ने आंखें मूंद लीं और क्षेत्र में पाकिस्तान के बुरे इरादों को नजरअंदाज कर दिया। आज अमेरिका एक बार फिर रावलपिंडी जनरलों से परमाणु ब्लैकमेलिंग का सामना कर रहा है."
"यह समय है कि विश्व, विशेष रूप से आईएमएफ, विश्व बैंक और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं, जो पाकिस्तान की दुष्ट सेना के बारे में अभी भी कमजोर हैं, जो अपने आर्थिक खर्चों को निपटाने और पाकिस्तान को प्रसार से बचाकर अपने हितों की रक्षा करने के लिए सौदेबाजी के तौर पर चरमपंथ और परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करती है"
"विश्व को इस तथ्य को समझना चाहिए कि पाकिस्तान को अपने आतंकी व्यवहार के कारण बलूचिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र महासभा की आपातकालीन बैठक बुलानी चाहिए और बलूचिस्तान के क्षेत्रों, भौगोलिक स्थिति और महत्व पर चर्चा करनी चाहिए। भारत, अमेरिका, इजरायल, रूस और अफगानिस्तान के साथ पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को खत्म करने के लिए खड़े होना चाहिए, जो हमारी शांति के लिए गहरे घाव हैं और आगे भी रहेंगे."
"यह समय है कि उन सभी देशों (अफगानिस्तान, बलूचिस्तान, बांग्लादेश, भारत) को पिछले 7 दशकों में पाकिस्तान आईएसआई द्वारा वित्तपोषित प्रॉक्सी द्वारा मारे गए निहत्थे नागरिकों और पीड़ितों का डेटा इकट्ठा करना चाहिए. पाकिस्तान को वैश्विक शांति, आर्थिक चुनौती और विश्व समाज के लिए एक स्थायी खतरा घोषित किया जाना चाहिए."
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